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basics of stock Market, stock market guide for beginners ये सब चीजों को सीख कर आप अपनी इन्वेस्टिंग के जर्नी को एक नया मुकाम दे सकते हैं


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स्टॉक मार्केट, जिसे शेयर बाजार भी कहते है, अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग मायने रखता है। कुछ लोगों की माने तो उन्हें लगता है कि यह एक सट्टा बाजार है यह एक जुआ है। और वहीं कुछ बड़े निवेशकों को देखा जाए जिन्हें लगता है कि स्टॉक मार्केट वेल्थ क्रिएट करने का अपने पैसे को मल्टिप्लाई करने का एक अच्छा स्थान है। जिन्हें स्टॉक मार्केट का सही ज्ञान है वह स्टॉक मार्केट से बहुत सारा पैसा कमा चुके है। आज के इस ब्लॉग में मैं आपको स्टॉक मार्केट के कुछ बेसिक चीजों के बारे में बताऊंगा जिन्हें आप सीख कर शेयर बाजार और सट्टा बाजार में फर्क समझ जाएंगे।


स्टॉक मार्केट के प्रमुख घटक

1. स्टॉक एक्सचेंज: भारत मे मुख्य दो स्टॉक एक्सचेंज हैं - नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) जिनके जरिए शेरों की खरीद व बिक्री होती है, निवेदक केवल उन्ही कंपनियों के शेयर को खरीद व बेच सकते हैं जो स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होती है।

2. शेयर: किसी कंपनी में निवेशकों की हिस्सेदारी को इक्विटी शेयर कहते हैं।

 मान लीजिए अपने एक कंपनी बनाई जिसे बनाने के लिए 10 लोगों का पैसा निवेश किया गया।अब उस हिसाब से देखा जाए प्रत्येक व्यक्ति उसे कंपनी के 10% हिस्से का मालिक  है, अगर कंपनी को मुनाफा होता है तो आपको उसके मुनाफे में से 10% आपका होगा। अगर वही कंपनी घाटे में जाती है तो घाटे में से 10% का हिस्सा आपका भी होगा, सीधे शब्दों में कहा जाए तो कंपनी का प्रॉफिट आपका प्रॉफिट होगा और कंपनी का लॉस आपका भी लॉस होगा

3. ब्रोकर: निवेशक जिस प्लेटफार्म के जरिए शेयरो की खरीद व बिक्री करते हैं। जैसे की जीरोधा, Angleone groww, upstox.


 स्टॉक मार्केट का रिसर्च

स्टॉक मार्केट में निवेश करने से पहले, आपको अच्छे से रिसर्च करना आवश्यक है।

1.फंडामेंटल एनालिसिस:

इनकम रिपोर्ट: अगर किसी कंपनी की इनकम रिपोर्ट स्टेबल है और वह हर साल अच्छा मुनाफा कमा रही है 

 बैलेंस शीट: कंपनी के संपत्ति, कंपनी के पास कितना पैसा आया और कितना पैसा गया, कंपनी ने अपना पैसा कहां खर्च किया।

 मूल्यांकन अनुपात: पी/ई रेशियो, पी/बी रेशियो इत्यादि का उपयोग करके कंपनी का मूल्यांकन करना।

प्रमोटर्स होल्डिंग: अगर किसी कंपनी में प्रमोटर्स की होल्डिंग 50% से ऊपर है तो इसका मतलब यह हुआ कि वह कंपनी में प्रमोटर्स को भरोसा है कि यह आगे अच्छा तो परफॉर्म करेगी। 

कर्ज: अगर कंपनी के ऊपर बहुत ज्यादा कर्ज है और समय से अपना कर्ज नहीं चुका पा रही है, तो इस तरह की कंपनी में निवेश करना सही नहीं माना जाता है। 

 फंडामेंटल एनालिसिस करने के लिए आप इस वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं

FINOLOGY


2.टेक्निकल एनालिसिस:



टेक्निकल एनालिसिस (Technical Analysis) एक ऐसी विधि है जिसके माध्यम से चार्ट को देखकर  वित्तीय बाजारों (financial markets) की भविष्यवाणी करने के लिए पिछले कीमतों और ट्रेडिंग वॉल्यूम (trading volume) का अध्ययन किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य बाजार के रुझानों (trends) की पहचान करना और भविष्य में मूल्य परिवर्तन की संभावना का पूर्वानुमान लगाना है।


टेक्निकल एनालिसिस के प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं:


1.चार्ट्स (Charts): कीमतों के इतिहास को दर्शाने के लिए विभिन्न प्रकार के चार्ट्स (जैसे लाइन चार्ट, बार चार्ट, कैंडलस्टिक चार्ट) का उपयोग किया जाता है।

2.ट्रेंड लाइन्स (Trend Lines): ये लाइनें मूल्य डेटा में ट्रेंड की दिशा को दर्शाती हैं और उन्हें सपोर्ट और रेसिस्टेंस लेवल की पहचान करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

3.इंडिकेटर्स और ऑस्सिलेटर्स (Indicators and Oscillators): जैसे RSI (Relative Strength Index), MACD (Moving Average Convergence Divergence), Bollinger Bands आदि। ये उपकरण व्यापारी को बाजार की स्थिति का विश्लेषण करने में मदद करते हैं।

4.मूल्य पैटर्न (Price Patterns): कुछ पैटर्न्स (जैसे हेड एंड शोल्डर्स, डबल टॉप्स और बॉटम्स, ट्रायंगल्स) होते हैं जो बाजार में परिवर्तन की संभावना का संकेत देते हैं।


स्टॉक मार्केट में रिस्क मैनेजमेंट

स्टॉक मार्केट में निवेश करने से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए रिस्क मैनेजमेंट बहुत महत्वपूर्ण है। इसमें निम्नलिखित बातें शामिल होती हैं:

1. डाइवर्सिफिकेशन: अपने पोर्टफोलियो को विविध शेयरों में निवेश करना ताकि किसी एक शेयर में नुकसान होने पर पूरी पूंजी पर असर न पड़े।

2.पोजिशन साइजिंग: किसी एक निवेश में कितना पैसा लगाना है, इसका निर्णय लेना।

3.इमर्जेंसी फंड: हमेशा एक इमर्जेंसी फंड रखना ताकि अगर स्टॉक मार्केट में नुकसान हो, तो वित्तीय स्थिति पर बड़ा असर न पड़े।


स्टॉक मार्केट में स्टॉप लॉस

स्टॉप लॉस एक ट्रेडिंग टूल है जो निवेशकों को संभावित नुकसान को सीमित करने में मदद करता है। यह एक प्री-सेट ऑर्डर है जो ऑटोमेटिकली एक्सीक्यूट होता है जब स्टॉक एक विशेष मूल्य तक पहुंच जाता है।

स्टॉप लॉस के प्रकार

1.फिक्स्ड स्टॉप लॉस: एक निश्चित मूल्य पर सेट होता है, जहां पर स्टॉक बेच दिया जाता है।

2.ट्रेलिंग स्टॉप लॉस: स्टॉक के मूल्य के साथ चलता है और एक निश्चित प्रतिशत या मूल्य के अंतर पर सेट होता है।


 निष्कर्ष

स्टॉक मार्केट में निवेश करने के लिए, आपको बेसिक्स का ज्ञान, उचित रिसर्च,  रिस्क मैनेजमेंट, और स्टॉप लॉस का सही उपयोग करना आवश्यक है। इन सभी चीजों को ध्यान में रखकर, आप स्टॉक मार्केट में समझदारी से निवेश कर सकते हैं और अच्छे मुनाफे की संभावना बढ़ा सकते हैं। 

अगर आपको इस पोस्ट से कुछ वैल्युएबल चीज़ सीखने को मिली हो तो आप इसे अपने फैमिली और  फ्रेंड सर्कल के साथ शेयर जरूर करें 

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